भारत का आखिरी गांव माना
अब माना जायेंगे अब जब बद्री विशाल के दर्शन हो चुके हैं तो थोड़ी पेट पूजा हो जाए। इसी बात का ध्यान रखते हुए सबसे पहले तो बढ़ चला जहां चप्पल उठाने। उसके बाद ही पुल पार करके होटल की ओर प्रस्थान। चप्पल वाली जगह मंदिर के कपाट से थोड़ी दूरी पर है। दर्शन के लिए लगी कतार के समांतर चलते हुए पुल के दाहिनी तरफ आ गया। यहाँ कुछ पुजारी पहले की तरह अपनी टीकाकरण की दुकान खोले हुए हैं। मुझे भी बुलाने लगी। माथे की तरफ इशारा करते हुए आगे बढ़ गया। जब मैं हनुमान मंदिर से टिका लगवा कर आया हूँ तो तुमसे दोबारा क्यों लगवाऊंगा। किनारे ही रखी चप्पल पांव में डाली और चल पड़ा पुल की ओर। गजेन्द्र भाई इच्छा है उसी रेस्त्रां में भोजन करने की जिसे सुबह देख कर आए थे होटल के बगल में। बाकी लोग भी राजी हो गए। पुल पार करने के बाद दो चार दुकानें छोड़ कर हम आ पहुंचे इस दुकान में। पर यहाँ मजे भी भीड़ है। इतने बड़े रेस्त्रां में भी …