गंगोत्री धाम में माँ गंगा के दर्शन
कल रात की मशक्कत का फल कल रात ग्लास हाउस में सोने की अनुमति तो मिल गई थी। पर समस्या आ रही थी कि इन दो बड़े बड़े बैग का क्या किया जाए। और मोबाइल और जूते कहाँ रखे जाएं। ऐसे में यही तरकीब सूझी की जूते और मोबाइल को स्लीपिंग बैग में डाल कर सो लिया जाएगा। और दोनों बैग की बद्धी को एक दूसरे से बांध कर उसमें चेन बांध दी जायगी। और उसी बैग को सिरहाने रख कर सो लिया जाएगा। यही तरकीब सही लगी और यही आजमाया भी। मोबाइल और जूते को पन्नी में लपेट कर स्लीपिंग में पैर के पास डाल लिया। और बैग को चेन से बांधकर उसी पर लदकर सो गया। सुबह हुई तो सारा सामान जहाँ का तहाँ मिला। कुछ भी चोरी नहीं हुआ। ग्लास हाउस में दरी बिछाकर और भी लोग सोए थे। उनमें से कुछ तड़के ही निकल लिए थे। कुछ अभी भी से ही रहे हैं। इस बात से बखूबी मुखातिब था की जितनी जल्दी कतार में खड़ा हो जाऊंगा उतनी जल्दी मंदिर में …