चार धाम में से एक बद्रीनाथ
मंदिर जाने की तैयारी कल दिनभर की थकान रातभर इस होटल में सो कर गुजारी। हंसमुख और गजेन्द्र भाई का साथ है इसलिए होटल ले लिया। ना होता तो शायद किसी आश्रम में ठहरता। ऐसे धामों में आश्रम में रुकने का मज़ा ही अलग होता है। ये ज्ञात है कि मंदिर में जितनी जल्दी पहुंच जाऊंगा उतनी जल्दी दर्शन हो जाएंगे। और ये बात इन तीनों को भी बतला दी थी कल रात। वैसे तो मेरी योजना तंबू गाड़ने की थी पर सुविधानुसार कमरा लेना ज्यादा बेहतर रहा। कमरे का दरवाजा खोला तो ठीक सामने बद्रीनाथ मंदिर। इससे बढ़िया जगह और क्या ही हो सकती है पूरे बद्रीनाथ में। कमरे में वापस से आकर कैमरे के सेल, गोप्रो, फोन, पॉवर बैंक वगैरह चार्ज करने के लिए लगा दिए। इतने में कमरे के अंदर सब ही लोग फटाफट तैयार होने लगे। बारी बारी से नित्य क्रिया हुई। स्नान की बारी आई तो गजेन्द्र भाई ने बताया की बद्रीनाथ धाम के दर्शन के पहले नारद कुंड में स्नान करना जरूरी होता है। सो यहाँ होटल में नहाने …