एलीफैंटा झरना या थ्री स्टेप वॉटरफॉल?
अच्छी नींद आंख रितेश जी की हवेली में खुली। ये हवेली ही उनका किराए का घर है। वैसे तो उनका खुद का भी घर बाल बच्चे सब हैं पर किसी दूसरी दुनिया में। आज शिलोंग से दरांग गांव की ओर रवाना होना है। देर रात तक गप्पे लड़ाने के बाद रितेश भाई किसी की मदद के लिए आधी रात को रवाना हो गए थे। आंख खुली तो वो घर पर ही थे। बस मैं भी निकलने की तैयारी में जुट गया। बैग वैसे के वैसे ही रखे हुए हैं। नित्य क्रिया के बाद गरमा गरम चाय पर चर्चा होने लगी। चर्चा में दरांग गांव जाने की बात उठी जहाँ पर उमगोट नदी को जमीनी स्तर पर भी देखा जा सकता है। मतलब की आर पार। इतने में आशुतोष जी भी आ गए और अपने किस्से कहानी बयां करने लगे। उन्होंने बताया कि कैसे खासी आदिवासी यहाँ के इलाकों से पिछड़ते गए। और आज भी अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं। रितेश जी के घर पर खाना बनाने वाली दाई भी आ गईं। जिन्होंने सबके …