केदारनाथ में चुकानी पड़ती है कीमत
साधना रात के बारह बज रहे हैं। घूम फिर के आया अब सोच रहा हूँ जैसा पंडित जी ने सुझाया वैसा ही के लिया जाए। दर्शन तो संभव नहीं। जूते उतार कर आ गया कपाट के सामने अध्यात्म करने। यहाँ एक माता जी पहले से ही अपने बीमार बेटे को लिए बैठी हैं। जो मंदिर के कपाट खुलने का इंतजार कर रही हैं। कपाट तो चार बजे से पहले खुलने से रहे। सो मैं भी इनकी तरह बैठ कर ध्यान लगा के देखूं। क्या पता खुद को हवा में महसूस करूं। जाली के अंदर आकर बैठ गया। अजय मेरी ओर मुख करके बैठा है। भगवान मेरे मुख पर थोड़ी हैं। इसलिए उसे टांकते हुए कपाट की तरफ बैठने को कहा। मंदिर की दीवार पर बहुत पुरानी मूर्तियां बनी हुई हैं। जो दीवार में चिन्हित हैं। दशकों पुरानी ये मूर्तियां कुछ संदेश देती नजर आ रही हैं। गणेश और पार्वती। आंख बंद की और ध्यान करने लगा। आंख बंद करने के बाद दस मिनट के लिए आंख भी लग गई। फिर से ध्यान करने की कोशिश …